Shri Ram Stuti Lyrics in Hindi |श्री राम चंद्र कृपालु भजमन

Shri Ram Stuti Lyrics in Hindi |श्री राम चंद्र कृपालु भजमन: आज हम वो देवता के बारे में जानेंगे, जिन्होंने इस सारे दुनिया को पास से कैसे देखना चाहिए सिखाया, और आज के समय में, जब किसी को किसी समस्या से घबराते हैं, तो वो एक नाम बोलते हैं, जो हर समस्या का समाधान देता है, और वो नाम जपने से ही सब समस्याओं का समाधान हो जाता है। यही नाम लोगों को सभी परेशानियों से मुक्ति दिलाता है, और हर व्यक्ति के चेहरे पर हँसी बनी रहती है।

Shri Ram Stuti Lyrics in Hindi

जी हां, यहाँ हम उसी देवता की बात कर रहे हैं, जिनकी मर्यादा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है। उन्होंने अपनी मर्यादा का पालन करने के लिए राज्य, मित्र, और माता-पिता का साथ त्याग दिया। अब आप भी समझ गए होंगे कि मैं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की बात कर रहा हूँ, प्रभु श्री राम के बारे में हम जितना जानेंगे, वो बहुत कम है, क्योंकि इस संसार के किसी भी व्यक्ति के शब्दों में इतना शक्ति नहीं है जिससे प्रभु श्री राम का पूरा परिचय किया जा सके।

Shri Ram Stuti Lyrics in Hindi |श्री राम चंद्र कृपालु भजमन

॥दोहा॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन
हरण भवभय दारुणं ।
नव कंज लोचन कंज मुख
कर कंज पद कंजारुणं ॥१॥

कन्दर्प अगणित अमित छवि
नव नील नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि
नोमि जनक सुतावरं ॥२॥

भजु दीनबन्धु दिनेश दानव
दैत्य वंश निकन्दनं ।
रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल
चन्द दशरथ नन्दनं ॥३॥

शिर मुकुट कुंडल तिलक
चारु उदारु अङ्ग विभूषणं ।
आजानु भुज शर चाप धर
संग्राम जित खरदूषणं ॥४॥

इति वदति तुलसीदास शंकर
शेष मुनि मन रंजनं ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु
कामादि खलदल गंजनं ॥५॥

मन जाहि राच्यो मिलहि सो
वर सहज सुन्दर सांवरो ।
करुणा निधान सुजान शील
स्नेह जानत रावरो ॥६॥

एहि भांति गौरी असीस सुन सिय
सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनि
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥

॥सोरठा॥

जानी गौरी अनुकूल सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल वाम
अङ्ग फरकन लगे।
रचयिता: गोस्वामी तुलसीदास

महत्वपूर्ण जानकारी |Important Information

Shri Ram Stuti Lyrics: क्या आपको पता है कि प्रभु श्री राम जी भगवान विष्णु के अवतार हैं, और इन्हें श्री राम और श्री रामचंद्र के नामों से भी जाना जाता है? रामायण में वर्णन के अयोध्या के सूर्यवंशी राजा, चक्रवर्ती सम्राट दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ (पुत्र प्राप्ति यज्ञ) कराया, जिसके फलस्वरूप उनके पुत्रों का जन्म हुआ। श्री राम का जन्म देवी कौशल्या के गर्भ में हुआ था।

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गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी उनके जीवन पर केंद्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरित्रमानस की रचना की है। और इन दोनों के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचनाएँ हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध हैं।

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